एक अरमान
वो सफर था कुछ यु अंजाना सा, कुछ अपना कुछ बेगाना सा,
कुछ हँसने कुछ हँसाने का, कुछ नगमे गुनगुनाने का,
वो डगर वो राहे वो लम्हे बेगाने ,
वो बातें वो मुलाकाते वो पल दिल छू जाते,
वो लोरी रातों की वो नर्मी हाथों की,
कुछ लफ्ज कुछ अफसाने, वो दीवाने वो परवाने,
मचलती ख्वाहिशो मे वो बिते दिन के अफसाने,
वो यारों की हसती, वो दिन भर मस्ति ,
कुछ केहना केह कर भुल जाना ,
आज झगडा कल फिर मनाना,
क्या खुब था वो बचपन का जमाना,
वो लम्हे जो प्यार के, दिल से दिल के इसहार के,
वो रातों कि मेहफिल वो सुबह की नींद,
वो चाय की चुस्कि वो खिलौनो की भीड,
ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा, मील कर वो थाली और चम्मच बजाना,
क्या खूबसूरत था वो बचपन का जमाना,
ए वक्त तु बस इतना सा एहसान कर,
लोटा दे वो हसी मुझे बच्चा जान कर,
छोड़ आ मुझे फिर उस मेहफिल मे,
ए जिंदगी बस पुरा इतना अरमान कर
रहो में चलते जब मिले अनजाने,
तो दिल न समझा कौन अपने कौन बेगाने,
हमने तो सबको एक मंजर में अपना लिया,
कभी किसी ने हँसा दिया तो कभी किसी ने रुला दिया,
कुछ अपने बने कुछ बेगाने,
जिंदगी की रहो पर जाने कितने अफ़साने,
तु बेखबर, मै बेखबर चलते जाना हे बस मगर,
एक जेेसी ही दिखती तेरी मेरी मंजिल की ये डगर,
में न बाँधु उमीद की कोई लहर,
जाने कब कौन तोड़ चले दिल से दिल के ये धागे,
कैसे करे ये दिल किसी पर विश्वास आगे,
कैसे पहचाने किसी को यहाँ सबने मुखोटे हे डाले,
हम तो हार गये अब रब ही उनको पहचाने,
एक डर का साया हे आँखो में,
लबो पर कोई खामोशी,
डरते हे अब खुद की रूह से कोई इन ख्वाबो को न रौंध डाले,
सपनो की दुनिया में अँधा कानून चलता हे,
जहाँ बेटा नहीं बाप का वहा आप के लिए क्या कोई मरता हे.
वो सफर था कुछ यु अंजाना सा, कुछ अपना कुछ बेगाना सा,
कुछ हँसने कुछ हँसाने का, कुछ नगमे गुनगुनाने का,
वो डगर वो राहे वो लम्हे बेगाने ,
वो बातें वो मुलाकाते वो पल दिल छू जाते,
वो लोरी रातों की वो नर्मी हाथों की,
कुछ लफ्ज कुछ अफसाने, वो दीवाने वो परवाने,
मचलती ख्वाहिशो मे वो बिते दिन के अफसाने,
वो यारों की हसती, वो दिन भर मस्ति ,
कुछ केहना केह कर भुल जाना ,
आज झगडा कल फिर मनाना,
क्या खुब था वो बचपन का जमाना,
वो लम्हे जो प्यार के, दिल से दिल के इसहार के,
वो रातों कि मेहफिल वो सुबह की नींद,
वो चाय की चुस्कि वो खिलौनो की भीड,
ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा, मील कर वो थाली और चम्मच बजाना,
क्या खूबसूरत था वो बचपन का जमाना,
ए वक्त तु बस इतना सा एहसान कर,
लोटा दे वो हसी मुझे बच्चा जान कर,
छोड़ आ मुझे फिर उस मेहफिल मे,
ए जिंदगी बस पुरा इतना अरमान कर
डगर
रहो में चलते जब मिले अनजाने,
तो दिल न समझा कौन अपने कौन बेगाने,
हमने तो सबको एक मंजर में अपना लिया,
कभी किसी ने हँसा दिया तो कभी किसी ने रुला दिया,
कुछ अपने बने कुछ बेगाने,
जिंदगी की रहो पर जाने कितने अफ़साने,
तु बेखबर, मै बेखबर चलते जाना हे बस मगर,
एक जेेसी ही दिखती तेरी मेरी मंजिल की ये डगर,
में न बाँधु उमीद की कोई लहर,
जाने कब कौन तोड़ चले दिल से दिल के ये धागे,
कैसे करे ये दिल किसी पर विश्वास आगे,
कैसे पहचाने किसी को यहाँ सबने मुखोटे हे डाले,
हम तो हार गये अब रब ही उनको पहचाने,
एक डर का साया हे आँखो में,
लबो पर कोई खामोशी,
डरते हे अब खुद की रूह से कोई इन ख्वाबो को न रौंध डाले,
सपनो की दुनिया में अँधा कानून चलता हे,
जहाँ बेटा नहीं बाप का वहा आप के लिए क्या कोई मरता हे.
Very nice lines anjali... Keep it up...
ReplyDeleteबहुत खूब...।
ReplyDeleteGood try.
ReplyDeleteAwesome lines di
ReplyDeleteSo beautiful lines����
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