बचपन के जमाने मे
क्यो नही बरसते ये बादल मेरे आशीयाने मे,
क्यो हु मै तन्हा इस खुदगृज जमाने मे,
आ फिर लौट चले बचपन के जमाने मे,
वो खिलखिलाती हँसी अब आती नही,
क्यो वो यादे जाती नही,
कभी याद आती है वो बचपन की अटखेलिया,
न भुली जाती वो तेरी मेरी पहेलियाँ,
क्यों ये सब अब लगते बेगाने हे,
आ फिर लौट चले बचपन के जमाने मे,
वो सुहानी राते, वो छम छम बरसाते,
भिगे हुए दिनो की मदमस्त सहेलिया,
कहाँ खो गयी वो रंगो की होलिया,
नफरत की आंधी और पैसो का सेलाब,
भूल गये सब बचपन का हिसाब,
आओ आज मील फिर वही आशीयाना सजाते है,
भुले हुए जमाने को फिर ये सिखाते है,
आओ आज मील फिर बच्चे बन जाते है,
आओ फिर से बच्चे बन जाते है।।
क्यो हु मै तन्हा इस खुदगृज जमाने मे,
आ फिर लौट चले बचपन के जमाने मे,
वो खिलखिलाती हँसी अब आती नही,
क्यो वो यादे जाती नही,
कभी याद आती है वो बचपन की अटखेलिया,
न भुली जाती वो तेरी मेरी पहेलियाँ,
क्यों ये सब अब लगते बेगाने हे,
आ फिर लौट चले बचपन के जमाने मे,
वो सुहानी राते, वो छम छम बरसाते,
भिगे हुए दिनो की मदमस्त सहेलिया,
कहाँ खो गयी वो रंगो की होलिया,
नफरत की आंधी और पैसो का सेलाब,
भूल गये सब बचपन का हिसाब,
आओ आज मील फिर वही आशीयाना सजाते है,
भुले हुए जमाने को फिर ये सिखाते है,
आओ आज मील फिर बच्चे बन जाते है,
आओ फिर से बच्चे बन जाते है।।
बचपन से बुढ़ापे कीओर
समां था वो विदाई का,
बचपन से दुर रुसवाई का,
बड़े कदम जिंदगी की ओर,
अपनी मंजिल की ओर,
कब बीता वो सुहाना सफ़र,
बीत गयी थी बचपन की वो सुहानी डगर,
तक़दीर ने हे रुख मोड़ा,
बचपन ने अब साथ छोड़ा,
आई जवानी खुशिया लेकर,
नयी हे मंजिल अब नया किनारा,
वक़्त के भँवर में लो आ फँसा इंसान बेचारा,
जब लगा सीख़ लिया उसने ये जिंदगी का दौर,
लो आ गया अब एक नया मोड़,
बचपन से बढ़े बुढ़ापे की ओर,
कैसे बंधती हे ये जिंदगी की डोर,
लम्हे बदले जिंदगी बदली वक़्त के संग,
हर मंजिल बदली,
लो आ गया अब रब का बुलावा,
चले तोड़ अब जिंदगी का धागा।
अपनी मंजिल की ओर,
कब बीता वो सुहाना सफ़र,
बीत गयी थी बचपन की वो सुहानी डगर,
तक़दीर ने हे रुख मोड़ा,
बचपन ने अब साथ छोड़ा,
आई जवानी खुशिया लेकर,
नयी हे मंजिल अब नया किनारा,
वक़्त के भँवर में लो आ फँसा इंसान बेचारा,
जब लगा सीख़ लिया उसने ये जिंदगी का दौर,
लो आ गया अब एक नया मोड़,
बचपन से बढ़े बुढ़ापे की ओर,
कैसे बंधती हे ये जिंदगी की डोर,
लम्हे बदले जिंदगी बदली वक़्त के संग,
हर मंजिल बदली,
लो आ गया अब रब का बुलावा,
चले तोड़ अब जिंदगी का धागा।
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